हमारी सोच और हमारी खुशियाँ

http://anilsahu.blogspot.in/2014/10/hamari-soch-aur-hamare-sukh-dukh-hindi.htmlजिंदगी में सबसे ज्यादा सुखी आदमी कौन होता है? इस सवाल के कई उत्तर हो सकते हैं. अपने-अपने अनुभव और अपने अपने उत्तर. एक गरीब आदमी कह सकता है कि जिसके पास खूब रुपया पैसा हो वो सबसे ज्यादा सुखी है जबकि एक बहुत धनवान आदमी की सोच इसके जैसी भी हो सकती है और इससे अलग भी. एक विकलांग आदमी से पूछो कि दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी आदमी कौन है तो शायद वो तपाक से कहेगा कि जिसके सभी अंग सही सलामत हों वो दुनिया का सबसे खुश आदमी होता है. भाई ये तो बात वही हुई कि जिसने जो भोगा और जिसने जो नहीं पाया उसे उसी की हसरत रही. क्या कारण है कि हर आदमी के लिए खुशियों के मायने कुछ अलग-अलग होते हैं?

Friends, life से जुड़े सवाल तो कई हो सकते हैं और अलग-अलग लोगों द्वारा उनके answers भी अलग-अलग हमारा मकसद कौन सही है या कौन गलत यह decide करना नहीं है. आखिर हम right या wrong को decide करने वाले कौन होते हैं. जो सही है वो सही है और जो गलत है वो गलत है. हम तो बस ये बात कर रहे हैं कि आखिर वो कौन कौन से factors हैं जो किसी भी आदमी को सुखी रहने और life को proper way में एन्जॉय करने में help करते हैं.


एक आदमी बहुत कम salary में भी खुश रहता है और एक दूसरा आदमी उससे ज्यादा salary में भी हमेशा नाखुश रहता है.

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एक आदमी गैरों के बीच भी खुश रह लेता है और एक आदमी अपनों के बीच में भी दुखी रहता है.

एक आदमी मुश्किलों में भी अपने चेहरे पे मुस्कराहट को बनाये रखता है और एक आदमी जरा सी भी मुश्किलों में हताश और निराश हो जाता है.

एक आदमी अपनी कमजोरियों और कमियों को भी दूसरों की नज़रों के सामने नहीं आने देता और एक आदमी अपनी कमजोरियों का दुखड़ा हर किसी के सामने रोता रहता है.

एक आदमी विपरीत परिस्थितियों को भी हल्के रूप में लेकर उन्हें नजरअंदाज कर के खुद भी खुश रहता है और दूसरों के सामने भी ख़ुशी का इज़हार करता  है वहीँ दूसरा आदमी इन्हें बाधा-चढ़ा कर सामने वालों को दिखाता है खुद भी दुखी रहता है और अपने एवं दूसरों का मन ख़राब करताहै.

ऊपर के कुछ उदाहरणों से एक बात तो स्पष्ट हुई कि life में जब एक सी परिस्थितियाँ थीं तो दो लोगों द्वारा अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं. मगर हमने क्या result देखा ? जो आदमी नकारात्मक(Negative) एवं निराशावादी सोच को अपनाए रहा वो हमेश दुखी एवं परेशांन रहा जबकि सकारात्मक(Positive) एवं आशावादी सोच को धारण रखने वाले आदमी ने उन्ही परिस्थितियों में अपने मन की शांति बनाये रखी और वो हर हाल में खुश रहा.

हमारी सोच और हमारी खुशियाँ हिंदी आलेख Life हर इंसान को कई परिस्थितियाँ एवं अवसर देती हैं मगर अलग-अलग लोग उनके प्रति अलग-अलग response देते हैं और उनसे अलग-अलग तरीके से प्रभावित होते हैं. हर आदमी की अपनी सोच रहती है जो उसे अपनी life की परिस्थितियों के प्रति उसे अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है.

अच्छी और बुरी परिस्थितियाँ हर इन्सान के सामने आती हैं मगर हम यदि अपने मन की शांति (Peace of mind) को बनाये रखते हैं तो समझो हमने अपने आपको ताकतवर एवं सफल बना लिया और अगर हम अपने मन की शांति को बनाये नहीं रख पाए तो फिर हम उनसे लड़ने से पहले ही हार गए.

आपको मेरी यह पोस्ट  कैसी लगी कृपया कमेंट द्वारा अपने विचारों से अवगत करने का कष्ट करें.
By: अनिल साहू

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2 टिप्पणियाँ

Anil Sahu ने कहा…
धन्यवाद आशीष जी. बड़ी शीघ्रता की आपने टिप्पणी देने में.
आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है..